पर कुदरत को माँ बेटी का, प्यार रास ना आया। और मेरी माँ को , रब ने अपने पास बुलाया। पर कुदरत को माँ बेटी का, प्यार रास ना आया। और मेरी माँ को , रब ने अपन...
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...
और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं... और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं...
दोस्ती का होता है ऐसा एक बंधन, जैसे छा जाए खुशबू जब हाथ लगे चंदन। दोस्ती का होता है ऐसा एक बंधन, जैसे छा जाए खुशबू जब हाथ लगे चंदन।
कोरे कागज़ का टुकड़ा हूँ चाहे जैसा देखना चाहो दिखता वैसा हूँ।। कोरे कागज़ का टुकड़ा हूँ चाहे जैसा देखना चाहो दिखता वैसा हूँ।।